हैदराबाद के मीरपेट इलाके में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस, बल्कि पूरे समाज को हिलाकर रख दिया है।
यह कहानी है गुरुमूर्ति नाम के एक पूर्व फौजी और डीआरडीओ के सिक्योरिटी अफसर की, जिसने अपनी पत्नी माधवी की हत्या करने के बाद उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उन्हें प्रेशर कुकर में उबालकर झील में फेंक दिया। यह घटना न सिर्फ हैदराबाद, बल्कि पूरे देश में सनसनी फैला चुकी है।
गुरुमूर्ति: एक फौजी से डीआरडीओ के सिक्योरिटी अफसर तक

गुरुमूर्ति, हैदराबाद का रहने वाला, एक पढ़ा-लिखा और देशभक्ति के जज्बे से भरा व्यक्ति था। उसने इंडियन आर्मी जॉइन की और कुछ सालों तक सेवा दी।
हालांकि, बाद में उसने आर्मी छोड़ दी और डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) में सिक्योरिटी अफसर के तौर पर काम करने लगा। डीआरडीओ एक बेहद संवेदनशील संस्था है, जहां देश की सुरक्षा से जुड़े रिसर्च होते हैं। यहां हर कर्मचारी और सिक्योरिटी स्टाफ की जासूसी तक होती है।
गुरुमूर्ति की शादी माधवी नाम की लड़की से हुई थी। दोनों के दो बच्चे थे। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। त्योहारों में घर आना-जाना होता था। माधवी के मायके वालों को भी पता था कि उसका पति उसे प्यार करता है।
पोंगल का त्योहार और माधवी का गायब होना

जनवरी का महीना था। दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा था। यह त्योहार इतना बड़ा होता है कि हर कोई अपने घर जाना चाहता है। माधवी भी अपने मायके जाना चाहती थी, लेकिन गुरुमूर्ति ने उसे मना कर दिया। उसका कहना था कि बच्चे हैं, नौकरी है, इस बार मत जाओ। इस बात पर दोनों में झगड़ा हो गया।
16 जनवरी को माधवी ने अपने मायके फोन किया, लेकिन रात को फोन नहीं किया। घर वालों को अजीब लगा, लेकिन उन्होंने सोचा कि त्योहार की व्यस्तता के कारण होगा।
17 जनवरी को भी कोई सूचना नहीं मिली। 18 जनवरी को माधवी का मोबाइल स्विच ऑफ मिला। अब माधवी के माता-पिता को चिंता हुई। वे हैदराबाद पहुंचे और गुरुमूर्ति से पूछताछ की। गुरुमूर्ति ने बताया कि झगड़े के बाद माधवी गुस्से में घर छोड़कर चली गई।
पुलिस में रिपोर्ट और जांच
18 जनवरी को माधवी के माता-पिता और गुरुमूर्ति ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने शुरुआत में केस को हल्के में लिया, लेकिन जब छह दिन बीत गए और माधवी का कोई सुराग नहीं मिला, तो पुलिस ने गंभीरता से जांच शुरू की।
पुलिस ने गुरुमूर्ति के घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच की। फुटेज में माधवी को घर से निकलते और वापस घर में जाते हुए दिखाया गया, लेकिन उसके बाद वह कभी बाहर नहीं आई। पुलिस को यह बात अजीब लगी।
गुरुमूर्ति का कबूलनामा
जब पुलिस ने गुरुमूर्ति से दोबारा पूछताछ की, तो उसके बयान में विरोधाभास नजर आया। पुलिस को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। आखिरकार, गुरुमूर्ति ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
उसने बताया कि 16 जनवरी को झगड़े के दौरान उसने माधवी का गला दबोच दिया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसने माधवी के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उन्हें प्रेशर कुकर में उबाला। फिर उसने उन टुकड़ों को हैदराबाद के पास एक झील में फेंक दिया।
पुलिस की जांच और चुनौतियां
पुलिस ने झील की तलाशी ली, लेकिन माधवी के शव का कोई टुकड़ा नहीं मिला। फॉरेंसिक टीम ने गुरुमूर्ति के घर की छानबीन की, लेकिन वहां भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बिना शव के और बिना ठोस सबूतों के यह केस अदालत में कैसे टिकेगा।