Kiit Incident Crime Story In Hindi – एक यूनिवर्सिटी, जहां हजारों छात्र अपने सपनों को पंख देने आते हैं, वहीँ एक छात्रा की मौत ने न सिर्फ उसके सपनों को दफन कर दिया, बल्कि भारत और नेपाल के बीच के रिश्तों में भी दरार पैदा कर दी।
यह कहानी है प्रकृति लामा की, जो नेपाल से भारत आई थी इंजीनियर बनने के सपने को पूरा करने। लेकिन उसका सपना उसकी मौत में बदल गया।

प्रकृति का सपना
प्रकृति लामा, एक 20 वर्षीय नेपाली छात्रा, जो कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में बीटेक कंप्यूटर साइंस की तीसरे वर्ष की छात्रा थी।
उसका सपना था इंजीनियर बनकर अपने माता-पिता को गर्व महसूस कराना। लेकिन 16 फरवरी को, उसकी लाश हॉस्टल के कमरे में पाई गई। यह घटना न सिर्फ उसके परिवार के लिए, बल्कि पूरे नेपाल और भारत के लिए एक झटका थी।
मौत के बाद का घटनाक्रम
प्रकृति की मौत के बाद, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जो रवैया अपनाया, वह चौंकाने वाला था। नेपाली छात्रों को धमकाया गया, उन्हें जबरन हॉस्टल से निकाला गया, और उन्हें कटक जैसी दूर की जगहों पर भेज दिया गया।
यह सब इसलिए किया गया ताकि यूनिवर्सिटी की बदनामी न हो। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और ऑडियो ने इस घटना को और भी गंभीर बना दिया।
ऑडियो और वीडियो का खेल

एक ऑडियो सामने आया, जिसमें एक लड़का, आद्विक श्रीवास्तव, प्रकृति को गालियां दे रहा था और उसे धमका रहा था।
यह ऑडियो अक्टूबर 2024 का था, और इसमें साफ था कि प्रकृति ने आद्विक के खिलाफ कई बार शिकायत की थी, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। आद्विक, जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग का छात्र था, प्रकृति का सीनियर था और उसके साथ दुर्व्यवहार करता था।
यूनिवर्सिटी का गुंडागर्दी वाला रवैया

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने न सिर्फ प्रकृति की मौत को छुपाने की कोशिश की, बल्कि नेपाली छात्रों के साथ गुंडों जैसा बर्ताव किया। उन्हें धमकाया गया, मारा-पीटा गया, और जबरन हॉस्टल से निकाला गया।
यहां तक कि एक प्रोफेसर ने नेपाली छात्रों को यह कहकर नीचा दिखाया कि “तुम्हारे देश की जीडीपी इतनी नहीं है कि तुम यहां रह सको।”
नेपाल की प्रतिक्रिया
प्रकृति की मौत और नेपाली छात्रों के साथ हुए दुर्व्यवहार की खबर नेपाल की संसद तक पहुंची। नेपाल सरकार ने भारत में अपने दूतावास के माध्यम से इस मामले की जांच की मांग की।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा कि अगर भारत में नेपाली छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार होता रहा, तो वे भविष्य में नेपाली छात्रों को भारत भेजने से रोक देंगे।
यूनिवर्सिटी का पलटवार
जब मामला गर्म हुआ, तो यूनिवर्सिटी ने माफी मांगी और नेपाली छात्रों को वापस बुलाने का फैसला किया। लेकिन यह माफी महज एक दिखावा थी।
यूनिवर्सिटी के कुछ स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कुछ ही घंटों में उन्हें जमानत मिल गई। आद्विक श्रीवास्तव को भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
प्रकृति की मौत का रहस्य
प्रकृति की मौत को लेकर कई सवाल हैं। क्या वह आत्महत्या का शिकार हुई, या उसकी हत्या की गई? क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले को दबाने की कोशिश की? क्या आद्विक श्रीवास्तव ने प्रकृति के साथ दुर्व्यवहार किया और उसकी मौत का कारण बना? ये सभी सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं।
निष्कर्ष
प्रकृति की मौत ने न सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के अंधेरे सच को उजागर किया, बल्कि भारत और नेपाल के बीच के रिश्तों को भी प्रभावित किया।
यह कहानी सिर्फ एक छात्रा की मौत की नहीं है, बल्कि उस सिस्टम की है जो अपने छात्रों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा। उम्मीद है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी और प्रकृति को न्याय मिलेगा।